ग्रामीण गुर्जर समाज और लोक संस्कृति मे कर्नल बैंसला
गुर्जर समाज की सांस्कृतिक परम्परायें बड़ी अनूठी और रोचक है. खासकर ग्रामीण समाज की. गुर्जर अपनी संस्कृति की उत्तरजीविता के लिए जाने जाते है. यानी ये लम्बे अरसे तक अपनी सामूहिक पहचान को जीवित रखने मे माहिर है. इस कौम की इस खासियत से मालूम चलता है कि ये प्रकृति से कबीलाई और सामूहिक रहने की आकांशी रही है. जो समूह इस तरह सांस्कृतिक एकजुटता को दिखाते है, उनकी मौलिक पहचान लम्बे समय तक अक्षुण रहती है. ग्रामीण गुर्जर समाज मे कर्नल बैंसला के लिए इसी तरह की सामूहिक भावना का परिचय मिलता है. प्रथमतः ग्रामीण महिलाये कर्नल बैंसला को महानायक की तरह देखती है. और उन्हें 'मोट्यार' के सम्बोधन से पुकार कर हिम्मती और निडर व्यक्तित्व के तौर पर उल्लेखित करती है. कर्नल बैंसला के निधन ( 31 मार्च 2022) के बाद उनके कृतित्व और व्यक्तित्व पर लोकभाषा मे गीत बुने जाने लगे. रागिनीयाँ गुंथी जाने लगी. उनकी पुण्यतिथि पर जिस तरह ग्राम स्तर पर रक्त दान कार्यक्रम हुए, पुण्यतिथि कार्यक्रम आयोजित हुए. इन सब बातो का राब्ता गुर्जर समाज की समूहगत पहचान और और अपने सांस्कृतिक नायक की स्मृतियों को अगली पीढ़ी तक स्थानानंतर करन