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कर्नल बैंसला : वो ताकत जिसे समझना अभी बाकी है .

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 कर्नल बैंसला : वो ताकत जिसे समझना अभी बाकी है .  निदा फाजली अपने एक शेर में कहते है कि , ''हर आदमी में होते है दस बीस आदमी , जिसको भी देखना कई बार देखना . दरिया के किनारे सितारे भी फूल भी , दरिया चढ़ा हो तो उस पार देखना ." किसी शख्स को एक ही नजर से नहीं देखा जा सकता है . हां नजर बदल बदल कर आप किसी शख्स के हर अक्स को देख सकते है . ये नजर की नहीं नजरिये की बात है .  कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला , जिन्हें सरकारों ने हमेशा एक समस्या के तौर पर ही देखा . न जाने कब ये शख्स दरिया बन कर बाढ़ ला दें , और सरकार अपनी तमाम मशीनरी को झोंक कर भी उसे रोक पाने में विवश नजर आये .  कर्नल बैंसला , जिन्हें गुर्जर समुदाय ने हमेशा अपने तारनहार के तौर पर देखा . हजारो साल की बेबसी और तकलीफ को समझने वाला और सरकारों को समझाने वाला शख्स उनकी कौम की रखवाली कर रहा था . जो जिसे चाहें जब चाहें उसी की भाषा में अपनी बात कह सकने की ताकत से लबरेज था . अंग्रेजी हो या हिंदी हो , या फिर ठेठ राजस्थानी भाषा हो . कर्नल बैंसला ने अपनी कौम की तकलीफों और न्याय के रास्ते को हर सम्भव भाषा में कहा .  कर्नल बैंसला , वो शख्स