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दुःसाहसी व्यक्तित्व : कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला

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 दुःसाहसी व्यक्तित्व : कर्नल बैंसला - लोगो ने कहा, कर्नल बेटी को क्यों पढ़ा रहा है. बेटी को पढ़ाने का मतलब है. दूसरे के खेत मे पानी देना. कर्नल साहब ने इस स्टेटमेंट को ख़ारिज करते हुए अपनी बेटी को पढ़ाया, लिखाया और इस काबिल खडा किया कि आज बहिन जी भारत की सबसे मजबूत और शक्तिशाली कुर्सीयों मे से एक पर विराजमान है. - लोगो ने कहा, कर्नल क्यों आरक्षण के छत्ते को छेड़ रहे हो. आरक्षण का दायरा नही बढ़ सकता. कर्नल साहब ने उस छत्ते को इतनी बुरी तरह छेड़ा कि आज 50% से ऊपर निकल कर EWS आरक्षण भी हो गया और OBC आरक्षण भी लगातार बढ़ रहा है. - लोगो ने सोचा हमारी बेटियाँ शायद पढ़ लिख नही पायेगी. कर्नल साहब ने फिर से दुःसाहसी कदम उठा कर बेटियों के लिए स्कूटी, छात्रवृति, देवनारायण स्कूल्स की व्यवस्था करवाई. आज बेटियों के सपने पँख लगा कर उड़ रहे है. कर्नल बैंसला साहब ने अपनी गाड़ी के आगे Dauntless Bainsla लिखवाया था. Dauntless यानी, निडर, दुःसाहसी. इस शब्द को, साहस के विचार को उन्होंने ताजिंदगी जीया. और साबित किया.

कर्नल बैंसला : व्यक्तित्व निर्माण की पाठशाला

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 कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को आपने मीटिंग्स मे जोरदार भाषण करते हुए सुना होगा. उनके शब्द पानी की तरह बहते थे. आवाज मे एक खास किस्म की लरज थी, जिसे सुनकर युवाओं, बुजुर्गों और उपस्थित जनसमुदाय मे परिवर्तन की लहर उठ जाती थी. कर्नल बैंसला बालिकाओं और महिलाओ के लिए विशेष भाषण करते थे. वो जानते थे समाज की आधारशिला महिलाओ की प्रगति पर आलंबित है. हर किसी नेता को उनके जैसा होना चाहिये. दूर दृष्टि से पूर्ण, और विजनरी ! ये कर्नल बैंसला की सार्वजनिक उपस्थिति थी. लेकिन इसी के साथ साथ उनकी वैक्तिक उपस्थिति और इंटर परसनल कम्युनिकेशन पर भी चर्चा की जरूरत है. बहुत कम लोग जानते है कि कर्नल बैंसला व्यक्तिशः बहुत ही सरल,शांत, सहज और विवेकपूर्ण जीवन शैली को जीने वाले व्यक्तित्व थे. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला प्रातः जल्दी उठ कर पढ़ने के अभ्यासी थे. बहुत बार वे सुबह तीन बजे उठ जाते. और पुस्तक पढ़ने लग जाते. उनके अध्ययन का विस्तार बहुआयामी था. साहित्य, फिक्शन, नॉन फिक्शन, इतिहास, संस्कृति की किताबों से लेकर ठेठ ग्रामीण साहित्य को बड़े चाव से पढ़ते थे. युवा पीढ़ी को खासकर ये आदत होनी चाहिये. व्यक्तित्व का निर्माण किता