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कर्नल बैंसला के संदेश और सामाजिक परिवर्तन की राह

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 कर्नल बैंसला के सपनों का समाज हर दूरदर्शी नेता, समाज सुधारक और दूर दृष्टि रखने वाला व्यक्ति अपने आसपास के समाज के बारे में एक विजन का निर्माण करता है.  मसलन  राजा राममोहन राय ने यह सपना देखा कि समाज के भीतर से सती प्रथा का अंत हो. ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले ने इस विश्वास के साथ अपनी जिंदगी समाज सेवा को अर्पित की,  कि आने वाले वक्त में ज्ञान अपना प्रकाश फैलाएगा और बालिकाएं पढ़ लिखकर वर्चस्ववादी समाज में अपना स्थान ग्रहण करेंगी.   डॉ आंबेडकर समानता से भरे हुए समतावादी समाज की कल्पना करते थे. तो वही कार्ल मार्क्स ने एक ऐसे समाज की कल्पना की जहां पर सर्वहारा वर्ग का शासन हो और पूंजीवादी व्यवस्था का अंत हो.  इन सारे महापुरुषों का संदर्भ लेते हुए कर्नल बैंसला के सपनों के समाज का जायजा लेना अति आवश्यक है. यूँ तो कर्नल बैंसला का अध्ययन, अनुभव और कार्य क्षेत्र बहुआयामी था. मैं 25 - 30 वर्ष तक सामाजिक न्याय का आंदोलन चलाते रहे. अपने समाज के मजलूम और मरहूम लोगों के लिए उन्होंने आरक्षण में अपनी हिस्सेदारी तय की. लेकिन इस समय जब वे सार्वजनिक मीटिंग में जाते थे. अपने लोगों से बात करते थे. और

कर्नल बैंसला : साधारण धूल से उठा हुआ ईश्वर का अद्भुत फूल

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सोचता हूं की क्या लिखा जाए उसे शख्स के बारे में जो दिखता तो बहुत साधारण था.  लेकिन उस साधारणता के पीछे विराट व्यक्तित्व था.  उस इंसान के घूमने फिरने,उठने बैठने, चलने और ठहरने में इतनी समान्यता मौजूद थी कि उससे हर कोई जुड़ जाता था.  गांव के बुजुर्ग उन्हें बड़ी आशा के साथ देखते थे. युवा उन्हें देखकर पहले से अधिक आत्मविश्वास और हिम्मत महसूस करते थे.  महिलाओं के लिए वह उनकी हकदारी का परचम था. तो स्कूल में पढ़ने वाली लड़कियां उन्हें ऐसी दिखती थी जैसे कोई उनके सपनों का फरमान लेकर आसमान से उतरा हो. और कह रहा हो, मेरी बेटियों जाओ अपने सपने पूरे करो.   कर्नल बैंसला. कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला इस नाम के आगे पीछे राजस्थान में सामाजिक न्याय की एक मौजू लड़ाई लड़ी गई. इस नाम के आगे पीछे परिवर्तन और विचारधारा का एक गठबंधन करवट लेता है. और पुराने प्रतिमानों को तोड़कर एक नई तरह की व्यवस्था बनाने के लिए जो कोशिश हुई है. वह कोशिश लाखो परिवारों के जीवन मे बदलाव का सेतु बन गयी.  सामाजिक परिवर्तन का जो  लेख लिखा गया है. इतिहास में ऐसे फेनोमेनल मोमेंट्स को युगांतरकारी परिवर्तन कहते हैं.  कर्नल बैंसला का स्वयं